Sudarshan Sabha
परिवर्तन योगेश : परिवर्तन संसार का नियम है यह बात भगवान श्रीकृष्ण ने कही, श्रीकृष्ण योगेश्वर हैं इसलिए इस संस्थान का नाम परिवर्तन योगेश है, जिसका जन्म राष्ट्र, धर्म व समाज में ठोस परिवर्तनों हेतु हुआ। कुछ ठोस परिवर्तन जो संस्थान द्वारा किये गए वह इस प्रकार से हैं :- चंदा-धंधा निषेध, प्रखर बाल साहित्य, पुस्तक लंगर/भंडारा, भिक्षा नहीं सुभिक्षा, माँ रोटी बैंक, परिवर्तन परीक्षापीठ, पुस्तक औषधालय कोषालय, गौ संवर्धन एवं संरक्षण संकल्प अभियान, भारत माता बाल संस्कारशाला, विद्यापीठ कार्यक्रम संयोजन, आत्ममोक्ष सम्मान, प्रत्येक वर्ष अक्षय तृतीया पर भारत माता दिवस, वृक्षपाल अभियान, पैडवुमेन बैंक इत्यादि।
सुदर्शन सभा : सुदर्शन सभा द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका में प्रारम्भ की व कलयुग में परिवर्तन योगेश इस सभा को जीवंत कर रहा है। द्वापर युग की कलयुग में यह परिवर्तन योगेश संस्थान की कार्यकारिणी है। इस सभा के सभापति श्रीकृष्ण हैं व हम सभी इस सभा के प्रमुख सभासद/सभासद के पद पर हैं। इस सभा को जीवंत करने का मूल उद्देश्य मानव द्वारा बनाई गई सभाओं की अपेक्षा भगवान द्वारा बनाई गई सभा से आपको जोड़ना है व श्रेष्ठ कार्य कर अपने जीवन को अर्थ देना अथवा परिभाषित करना है।
सुदर्शन सभा (परिवर्तन योगेश कार्यकारिणी) के कार्य : सम्पूर्ण कार्यकारिणी सदस्यों (मुख्य सभासद/सभासद) की सहभागिता है - 1. सनातन एवं प्रखर बाल साहित्य निर्माण 2. भारत माता बाल संस्कारशाला संचालन 3. सुदर्शन सभाओं का सांस्कृतिक दिवसों पर आयोजन 4. कुंभ मेलों में शिवरों का संचालन 5. विद्यापीठ का गठन 6. क्रांतिवीर मंदिर की स्थापना 7. राम-कृष्ण-वन्देमातरम इत्यादि ऑनलाइन परीक्षाएं 8. ॐ संकीर्तन इत्यादि।
सुदर्शन सभा सदृढ़ता शुल्क : सुदर्शन सभा (परिवर्तन योगेश कार्यकारिणी) के सदस्य परिवर्तन योगेश संस्थान के सभी सेवा योजनाओं के सहभागी हैं व सदस्यों के सहयोग द्वारा ही सेवा योजनाएं संचालित हैं। भगवान की इस सभा में प्रमुख सभासद व सभासद के पद हैं जिसका निर्धारण संस्थान द्वारा तय है। आपका तन-मन-धन से संस्थान को निरंतर सहयोग मिलता रहे यही आपसे आकांशा है। सभासदों को निलंबित करने के अधिकार सभापति श्रीकृष्ण जी के पास सुरक्षित हैं।
सुदर्शन सभा से कैसे जुड़ें : आप में यदि राष्ट्र-संस्कृति-समाज हेतु कुछ करने की भावना है, आप में अपने जीवन को अर्थ देने अथवा परिभाषित करने का संकल्प है तो आप मानव द्वारा बनाई गई सभा की अपेक्षा ईश्वर द्वारा बनाई गई सभा से जुड़ें कि जिसे परिवर्तन योगेश संस्थान जीवंत कर रहा है। अपना नाम + राज्य + फोटो + व्हाट्सप्प नंबर संस्थान के व्हाट्सप्प 9953175076 पर दें, मुख्य सभासद अथवा सभासद के पद (शुल्क) का चयन कर अपना परिचय कार्ड प्राप्त करें व संस्थान के सेवा कार्यों में सहभागी बनें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :
सवाल : सुदर्शन सभा का निर्माण क्यों ?
उत्तर : कलयुग में मानव द्वारा बनाई गई सभा की अपेक्षा द्वापर में ईश्वर द्वारा बनाई गई सभा से सनातनी संगठित हों, श्रेष्ठ पद प्राप्त करें व सनातन पताका फहराएं।
सवाल : मुख्य सभासद/सभासद आर्थिक सहयोग क्यों दें ?
उत्तर : पदाधिकारी यदि आर्थिक रूप से अपनी संस्था को सदृढ़ नहीं करेंगे तो फिर कौन करेगा ! सभा (कार्यकारिणी) पदाधिकारियों के आर्थिक सहयोग से ही तो परिवर्तन योगेश संस्थान के राष्ट्र, संस्कृति व समाज हित कार्यों को बल प्राप्त होगा।
सवाल : परिवर्तन योगेश संस्थान का कार्यालय कहां स्तिथ है ?
उत्तर : मुख्यालय दिल्ली में श्री: माधव सदन के नाम से है यध्यपि संस्थान के कार्यालय लगभग सम्पूर्ण भारत में हैं।
सवाल : मुख्य सभासद व सभासद में क्या अंतर है ?
उत्तर : मुख्य सभासद का पद सभासद से वरिष्ठ है और सभापति सर्वोच्च हैं।
सवाल : क्या परिवर्तन योगेश संस्थान का नाम प्रचलित है ?
उत्तर : कलयुग में वह संस्थाएं जो कार्य करती हैं उनके नाम की अपेक्षा कार्य जाने जाते हैं। राम मंदिर के नारे, अनवरत राम कृष्ण वन्देमातरम परीक्षाएं,महाकुम्भ की व्यवस्था, सनातन एवं प्रखर बाल साहित्य इत्यादि सभी जानते हैं परन्तु कौन यह सब कर रहा इस पर लोग केवल दिखावट को देखते हैं नाकि कार्य करने वालों को।
सवाल : क्या परिवर्तन योगेश संस्थान को 10A व 80G प्राप्त है ?
उत्तर : जी प्राप्त है। संस्थान चाहे तो अन्य संस्थाओं की तरह करोड़ों रु काला धन कमा सकता है परन्तु संस्थागत संकल्प कि No धंधा No चंदा केवल लोगों को कुछ देकर धन लेंगे व उस धन को सेवा योजनाओं में लगा देंगे।
सवाल : सुदर्शन सभा सदस्यों के क्या अधिकार व उन्हें लाभ प्राप्त हैं ?
उत्तर : 1. आप मानव द्वारा बनाई गई सभा की अपेक्षा ईश्वर द्वारा बनाई गई सभा से जुड़ें हैं। 2. आप मुख्य सभासद/सभासद के प्रतिष्ठित पद पर हैं। 3. आप संस्थागत सेवाओं को अपना कहने के अधिकारी हैं। 4. आप संस्थागत आचार्य, विद्या वाचस्पति, विद्या सागर इत्यादि मानद सम्मनाओं हेतु योग्य हैं। 5. आप संस्थान द्वारा भविष्य में बनाई जाने वाली लोक सनातन विद्यापीठ एवं राष्ट्रवीर मंदिर निर्माण में सहयोगी हैं। 6. संस्थान में कर्मवीरों को असीमित अधिकार व लाभ स्वयं प्राप्त हो जाते हैं।
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