Institution

संस्था के विस्तार/अभियान "एक से अनेक" का उद्देश्य संगठित होकर किसी एक कार्य को अनेकों द्वारा करके अनेक कार्य बना देना है । उदाहरण एक व्यक्ति एक लाख जनों को भोजन खिलाने में समर्थ नहीं हो सकता परन्तु यदि एक लाख संस्था सदस्य एक माह के एक दिन केवल एक समय का भोजन भी किसी जरूरतमंद को खिलाएं तो हम एक लाख भोजन वितरित कर सकते। इसी प्रकार से कई कार्य समय समय पर चलते। संस्था का Institution इस प्रकार से है :

1.  संस्था में हर परिवर्तन मित्र के लिए राष्ट्र व समाज सेवा सर्वोपरि है। राष्ट्र की सभ्यता-संस्कृति पर वह अडिग रहेंगे तथा उनकी हिंदुत्व जीवनशैली होगी, भले ही वह किसी भी धर्म/जाति के हों। इसी उद्देश्य के साथ वह अपने संघठन स्तर पर पदाधिकारियों द्वारा निर्धारित देश व समाज सेवी कार्य करेंगे व परिवर्तन परिवार के दुःख-सुख में सहभागी होंगे। वह अहिंसक व अनुशासित रहेंगे। भारत में कई राष्ट्र व समाजसेवक अथवा छोटी संस्थाएं विधिवत पंजीकृत नहीं हैं। किसी भी संस्था/सदस्य के श्रेष्ठ कार्य को सरकार/समाज तब तक मान्यता नहीं देता जब तक कि वह सरकार की सूची में न हो। परिवर्तन योगेश एक Trust/NGO है जिसके विस्तार का मूल उद्देश्य यह भी कि ऐसे राष्ट्र व समाज सेवियों को संस्था का मंच प्रदान करना है।

2.  सम्पूर्ण भारत में संस्था का प्रसार होगा, इसमें संस्थापक/ट्रस्टी कोई पद ग्रहण नहीं करेंगे।

3.  संस्था में प्रवेश निशुल्क है; सदस्यों के कार्यों के आधार पर ही उन्हें राष्ट्र व समाजसेवी कार्ड प्रदान किया जाएगा।

देश में पदों का दायित्व इस प्रकार होगा :
राष्ट्रीय स्तर, राज्य स्तर, लोक स्तर (जिला), विधान स्तर (तहसील), निकाय स्तर

किसी भी स्तर पर निम्न पद व सहायक होंगे
संरक्षक (1) ) अध्यक्ष (1) उपाध्यक्ष (1) महासचिव (1) सचिव (1) कोषध्यक्ष (1) संगठन मंत्री (1) व्यवस्था मंत्री (1)
सूचना मंत्री (1) सहायक/सहयोगी  परिवर्तन मित्र (न्यूनतम 10 प्रतिवर्ष)

(ए) संरक्षक :-
(a) संरक्षक का पद राष्ट्रपति स्वरूप होगा।
(b) वह कार्यकारिणी की बैठक/गोष्ठियों में बौद्धिक देंगे। यह बौद्धिक राष्ट्र व समाज हित से ओत-प्रोत होंगे। वह मुख्य प्रवक्ता भी होंगे।
(c) वह कार्यकारिणी के फैसलों को पुन: विचार करने हेतु कह सकते व कार्यों पर निगरानी रखेंगे।
(d) संरक्षक का पद मुख्यालय द्वारा सुरक्षित रहेगा।
(e) संरक्षक ही अध्यक्ष का साक्षत्कार कर उसकी नियुक्ति की अनुमति देंगे।
(d) पूरे राज्य हेतु एक ही सामान्य संरक्षक होगा।

(बी) अध्यक्ष :-
(a) माह में एक बार  बैठक की अध्यक्षता करेगा और कार्य सुचारु रुप से चलाने के आदेश देगा ।
(b) किसी भी मतदान की सूरत में यदि मत बराबर रहते है तो अध्यक्ष को निर्णयक मत देने का अधिकार होगा ।
(c) संस्था के अन्य पदाधिकारियों के कार्यों की समीक्षा देखरेख करेगा।
(d) अध्यक्ष को बैठक बुलाकर संस्था के कार्य को सुचारु रुप से चलाने के लिए अपने राष्ट्रीय स्तर, राज्य स्तर, लोक स्तर, विधान स्तर, निकाय स्तर पर नियुक्तियों का अधिकार होगा ।
(e) कार्यकारिणी का कोई भी निर्णय बिना अध्यक्ष की अनुमति और सहमति के बिना लागू नही माना जाएगा ।

(सी) उपाध्यक्ष :-
अध्यक्ष की अनुमति से अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उनके कार्यक्रमों को पूरा करेगा और उनको अपना पूरा सहयोग करेगा ।अध्यक्ष द्वारा दी गई जिम्मेदारी व कार्यों को करेगा ।

(डी) महासचिव :-
(a) महासचिव संस्था का प्रतिनिधित्व करेगा और पब्लिक रिलेशन ऑफिसर और प्रवक्ता की भूमिका का भी निर्वाहन करेगा।
(b) महासचिव सभी तरह के रिकार्ड,सदस्यों से संबधित जानकारी और बैठकों के मिनिट्स लिखेगा और उनका रिकार्ड रखेगा।
(c) अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के आदेश पर बैठकों को बुलाना ,कार्यवाही करना ,लिखना, नियमों को क्रियान्वित करना, करवाना, हर किस्म के पत्र व्यवहार करना और प्रत्येक कार्य को सुचारु रुप से चलाना ।
(d) वार्षिक विवरण तैयार करके बैठक में प्रस्तुत करना ।

(इ) सचिव :-
महासचिव की अनुपस्थिति में सभी बैठकों का आयोजन और संचालन करना ,बैठकों के आय़ोजन में सदस्यों को एकत्रित करना तथा मीटिंग सम्मेलनों का कार्यभार की जिम्मेदारी,अध्यक्ष और महासचिव द्वारा दिये गये कार्यों का निष्पादन करना ।

(एफ) कोषाध्यक्ष :-
(a) यह समिति का आय-व्यय का हिसाब किताब सुचारु रुप से रखेगा ।

(b) चंदा इकट्ठा करने व लेखा जोखा रखने का दायित्व कोषाध्यक्ष का होगा ।

(जी) संगठन मंत्री :-
संस्था के पदाधिकारियों व सदस्यों को संगठित करना।

 (एच) व्यवस्था मंत्री :-
संस्था के हर कार्यक्रम की व्यवस्था व देखभाल करना।

 (आई) सूचना मंत्री :-
संस्था की सूचना मीडिया को प्रदान करना।

6. ऊपर से निचे हर स्तर पर जिम्मेवारियों का निर्वहण होगा।

7. परिवर्तन मित्र मिलजुल कर संस्था द्वारा जारी सामग्री बाँटेंगे व राष्ट्र/समाज सेवी कार्य करेंगे।

8. कार्यकारिणी जो चंदा एकत्रित करेगी उसका 35% उन्हें सामाजिक कार्य करने हेतु जारी होगा, 25% पदाधिकारियों की सुरक्षा निधि में जुड़ेगा एवं शेष 40% मुख्यालय द्वारा बड़े/राष्ट्रीय स्तर कार्यों हेतु सुरक्षित होगा।यानि हर स्तर पर कार्यकारिणी 60 % चंदे की राशि रखने का स्वामित्व रखती। 

9. चंदे में लिया जाने वाला कैश/चैक/ऑनलाइन ट्रांज़ैक्शन सम्पूर्ण धनराशि संस्था के पंजीकृत बैंक अकाउंट में जमा करना अनिवार्य।

10. राष्ट्रीय स्तर को छोड़ हर स्तर पर कार्यकारिणी कार्य इस प्रकार हो सकते :-
(a) माह में एक बार बैठक/गोष्ठी, बौद्धिक एवं विभिन्न विषयों पर चर्चा।
(b) समय-समय पर संस्था द्वारा जारी सामग्री का वितरण एवं चंदे का एकत्रीकरण ।
(c) अपने से छोटे स्तर पर कार्यों की निगरानी, समन्वय एवं एकत्रीकरण।
(d) समाज में जागरूपता फ़ैलाने व समाज हित हेतु कैंप। इत्यादि। .....
(e)  तीन कामों में से किसी एक कार्य हेतु अवश्य समर्पित रहना होगा। आपदा राहत, रक्त राहत व जरूरतमंद को भूख राहत। इसी प्रकार से कई कार्य समय समय पर चलते।राष्ट्र व समाजसेवी कार्य सर्वस्व समर्पण मांगते, लाभ की गुंजाईश लेश मात्र भी नहीं।

राज्य के अध्यक्ष नासिर्फ अपने लिए उपाध्यक्ष (1) महासचिव (1) सचिव (1) कोषध्यक्ष (1) सहयोगी (न्यूनतम 10) चुनाव करेंगे बल्कि राज्य के सभी संसदीय स्तर पर भी अध्यक्षों का चुनाव कर साक्षात्कार/नियुक्ति हेतु संरक्षक तक भेजेंगे। इसी प्रकार प्रत्येक संसदीय अध्यक्ष भी अपनी टीम गठित करेंगे व अपने नीचे विधान स्तर के अध्यक्षों का चुनाव करेंगे व यह क्रम निकाय स्तर तक धारावाहिक होगा। कार्य अथक परिश्र्म मांगता। सही सोच विचार कर अपने स्तर/सवाल/चर्चा का चयन करें। सभी स्तरों पर केवल संरक्षक का चुनाव संस्था मुख्यालय करेगा जो नाम अध्यक्षों द्वारा अनुमोदित होंगे।

 1. युवा राष्ट्र का भविष्य और इनकी ऊर्जा/शक्ति व प्रतिभा भी किसी भी राष्ट्र/संस्थान के उत्थान हेतु अति आवश्यक इसलिए अब संस्था में एक "राष्ट्रीय युवा प्रकोष्ठ" भी बनाया जाएगा जिसकी कार्यकारिणी का गठन भी उसी प्रकार होगा जैसे विधान में लिखित।

2. सदस्यता :- शपथ पत्र में उल्लेखित वो हर व्यक्ति जो संस्था के नियमों और उद्देश्यों को मानता हो और जिसे की कार्यकारिणी सदस्य के रुप में स्वीकार करें,वो संस्था का सदस्य बन सकता है..धर्म ,जाति या लिंग के आधार पर सदस्यता के लिए कोई बंदिश नही होगी ।अन्य योग्यताएं इस प्रकार होगी :-
(a) कोई भी व्यक्ति (पुरुष या महिला) जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक हो वह संस्था का सदस्य बन सकता है
(b) वह किसी प्रकार से नैतिक दोषी न हो तथा किसी अपराध में न्यायालय से किसी प्रकार दण्डित न किया गया हो ।
(c) संस्था के उद्देश्यों में अपनी पूर्ण आस्था रखता हो तथा नियम व उपनियम का पालन करने को वचनबद्ध हो।
(d) देशहित व सामाजिक कार्य करने का जज्ब़ा रखता हो।

3. सदस्यता सीज़ होना :- किसी भी सदस्य की सदस्यता मत्यु, अयोग्य पाए जाने पर, नैतिक आचरण का दोषी पाए जाने पर, संस्था संस्थापक यदि पदाधिकारी सदस्य के व्यवहार से संतुष्ट ना हो, पागल होने की दशा मे, संस्था के उद्देश्यों अथवा हितों के खिलाफ कार्य करते पाए जाने पर या फिर सदस्य के रुप में उससे जिस कार्य की अपेक्षा ना हो, इन दशाओं में समय से पहले उनकी सदस्य्ता/पद सीज़ हो सकता है। जिसे सीज करने का अधिकार कार्यकारिणी के तीन सदस्यों के अनुमोदन से संस्थापक के पास होगा।

सभी प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय/राज्य अध्यक्षों व उपाध्यक्षों का चुनाव संस्थापक व संरक्षक की अनुमति से होगा व संस्था की और से इन्हें नियुक्ति पत्र प्रदान किया जायेगा। इसके इलावा जितने भी पद जिस भी स्तर पर होंगे उनका चुनाव उस स्तर के अध्यक्ष/कार्यकारिणी का दायित्व होगा व वही इस संबंधी नियुक्ति पत्र प्रदान करेंगे व संस्था को सूचित करेंगे।

सभी स्तरों की कार्यकारिणी में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव, कोषाध्यक्ष के इलावा भी पद हैं, जो सहायक परिवर्तन मित्र कहलायेंगे।

हमारे सरल परन्तु विशाल प्रभावी कार्य :
    a)  आपदा में राहत। किसी भी आपदा में एक जुट होकर राहत सेवा।
    b)  रक्त राहत। जरूरतमंद को रक्त राहत प्रदान करना।
    c)   भूख राहत। माह में एक बार एक दिन में एक समय किसी जरूरतमंद को भोजन देना।
    d)  शिक्षा राहत। किसी भी प्रकार की शिक्षा जो हम एक जन को भी दे पाएं।
    e)  सभी राष्ट्र व समाज हित मुद्दों पर ऑनलाइन/ऑफलाइन जागरूपता अभियान।
    d)  ऐसा कोई भी कार्य जो आप जनहित में कर पाएं (महिला/वृद्ध/बाल)
    e)  सनातन (हिंदुत्व) में सम्माहित सभी विषयों का प्रचार-प्रसार।

ऐसा कोई भी विषय जिस पर आप कार्य करना चाहें जो कि संस्था का पंजीकृत उद्देश्य हो, उसकी सूचना हमसे पूछने पर हम उपलब्ध करवा देंगे।


सभी विवरण भविष्य में समय-समय पर संशोधित होने की संभावना है। आपके मन में विचार आ सकता कि ठोस कार्य क्या किया ? उसका उत्तर यह कि सदस्य संघठित होंगे, संस्था को शक्ति मिलेगी, अहिंसक, राष्ट्र व समाज सेवी मित्र तईयार होंगे, देश व समाज शक्तिशाली होगा, राष्ट्र की सभ्यता-संस्कृति व पूर्वज जीवित रहेंगे । एक कार्य एक जन नहीं अनेक जन मिल कर एक कार्य को अनेक बना देंगे।

संस्था में विगत दिनों राष्ट्रीय महिला प्रकोष्ठ का भी निर्माण हुआ है जो इसी Institution पर चलेगा।

धन्यवाद

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