Dekho Bharat

#ParivartanYogesh #Dekho_Bharat नदी की धाराओं के बीच जतमई घटारानी मंदिर, छत्तीसगढ़ में है। अगर घर के बगल में लगातार पानी का जमावड़ा लगा हो तो घर की दीवारों में दरार आ जाती है। 1700 सालों से यह मंदिर पानी में डूबा हुआ है और नदी की धारा उसके बगल से ही बहती है पर प्राचीन तकनीक की वजह से इस मंदिर को हानि नहीं हुई।


 
#ParivartanYogesh #Dekho_Bharat 12 ज्योतिर्लिंगों में से द्वितीय ज्योतिर्लिंग “मल्लिकार्जुन” है। यह कृष्णा नदी के तट पर श्री शैल पर्वत पर स्थित है। इसे श्रीशैल या श्रीशैलम भी कहा जाता है। जो आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में स्थित है। इसे दक्षिण का कैलाश भी कहते हैं। यह हैदराबाद से 250 किलोमीटर की दूरी पर कुर्नूल के पास है। शक्तिपीठों में से 18 महाशक्तिपीठों का विशेष महत्व है। उनमें से भी 4 शक्तिपीठों को अति पवित्र माना जाता है और श्रीशैलम उनमें से एक है। 12 ज्योतिर्लिंग इस प्रकार से हैं- 1. सोमनाथ 2. मल्लिकार्जुन 3. महाकालेश्वर 4. ओम्कारेश्वर 5. केदारनाथ 6. भीमाशंकर 7. काशी विश्वानाथ 8. त्रयंबकेश्वर 9. वैद्यनाथ 10. नागेश्वर 11. रामेश्वर 12. घृष्णेश्वर 🙏

  

#ParivartanYogesh #Dekho_Bharat अम्बाजी मंदिर गुजरात-राजस्थान सीमा पर अरासुर पर्वत पर स्थित है। यह भारत में माँ शक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक प्रधान पीठ है। इस मंदिर में कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है, केवल पवित्र श्रीयंत्र की पूजा मुख्य आराध्य रूप में की जाती है। इस यंत्र को कोई भी सीधे आंखों से देख नहीं सकता एवं इसकी फ़ोटोग्राफ़ी का भी निषेध है। यंत्र को इस प्रकार से मुकुट एवं चुंदड़ी से श्रृंगारित किया जाता है कि सवारी पर आरुढ़ माताजी की मूर्ति का आभास होता है। यंत्र शुद्ध स्वर्ण से निर्मित। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां तीर्थयात्रा करने वर्ष पर्यन्त आते रहते हैं, विशेषकर पूर्णिमा के दिन। भदर्वी पूर्णिमा के दिन यहाँ बड़ा मेला लगता है। विशेषकर जुलाई माह में पूरे अम्बाजी कस्बे को दीपावली की तरह प्रकाश से सजाया जाता है। माना जाता है कि ये मन्दिर लगभग बारह सौ वर्ष से अधिक प्राचीन है। इस मंदिर का शिखर 103 फ़ीट ऊंचा है और इस पर 358 स्वर्ण कलश स्थापित हैं।

  

#ParivartanYogesh #Dekho_Bharat तमिलनाडु के वेल्लोर नगर के मलाई कोड़ी पहाड़ों पर स्थित महालक्ष्मी मंदिर 15 हजार किलो सोने से बना है। यह अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से ही बड़ा नहीं बल्कि विश्व का सबसे बड़ा स्वर्ण मंदिर है। 100 एकड़ से ज़्यादा क्षेत्र में फैले इस महालक्ष्मी मंदिर में हर कलाकृति हाथों से बनाई गई है। इस मंदिर में रोज़ाना लाखों भक्त दर्शन करते रहे हैं। मंदिर के बाहर एक सरोवर है जिसमें भारत की सभी प्रमुख नदियों का जल है। इस सरोवर को सर्व तीर्थम सरोवर कहा जाता है।

 
#ParivartanYogesh #Dekho_Bharat साँची स्तूप भारत के मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल से 46 कि.मी. की दूरी पर उत्तर-पूर्व में स्थित है। जो रायसेन जिले के साँची शहर में बेतबा नदी के किनारे पर स्थित है। यह स्थल अपनी आकर्षित कला कृतियों के लिए विश्व विख्यात है। यूनेस्को द्वारा साँची स्तूप को 15 अक्टूबर 1982 को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया था। साँची स्तूप को मौर्य राजवंश के सम्राट अशोक की आज्ञानुसार तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में स्थापित किया गया था। इस स्थान पर भगवान बुद्ध के अवशेषों को रखा गया है। सांची नगर एक पहाड़ी के ऊपर बसा हुआ है और हरे-भरे बागानों से घिरा हुआ है। जिससे यहा आने वाले पर्यटकों को शांति और आनंद का एहसास होता है और पर्यटक इस स्थान की और आकर्षित होते है। इस स्थान पर मौजूद मूर्तियों और स्मारकों में आपको बौद्ध कला और वास्तु कला की अच्छी झलक देखने को मिलती है।
 

#ParivartanYogesh #Dekho_Bharat भगवान सूर्य देव को समर्पित मंदिर गुजरात के मेहसाणा जिले के मोढेरा गांव में पुष्पापति नदी के किनारे स्थित है। सूर्य मंदिर अपनी बेजोड़ शिल्प कला के कारण विश्व भर में प्रसिद्ध है। अलाउद्दीन खिलजी ने मंदिर को तोड़ कर खंडित कर दिया था। इस मंदिर का निर्माण 1027-27 ईस्वी में चौखुआ वंश के राजा भीमदेव प्रथम द्वारा किया गया था। मंदिर का निर्माण 23.6 डिग्री अक्षांश पर किया गया है। मंदिर परिसर तीन भागों में बना हुआ है। पहला गुधमांदपा जो मंदिर का गर्भगृह है। दूसरा सबमांदपा जो मंदिर का विधानसभा कक्ष (सभामंडप) है। तीसरा सूर्य कुंड जिसको राम कुंण्ड भी कहा जाता है। मंदिर के गर्भगृह के अंदर की लंबाई 51 फुट 9 इंच तथा चैड़ाई 25 फुट 8 इंच है। मंदिर के सभामंडप में कुल 52 स्तंभ हैं। इन स्तंभों पर बेहतरीन कारीगरी से विभिन्न देवी-देवताओं के चित्रों और रामायण तथा महाभारत के प्रसंगों को उकेरा गया है।
 

 
#ParivartanYogesh #Dekho_Bharat मुहीम में आज परिचय एशिया के सबसे ऊँचे शिव मंदिर का। "जटोली शिव मंदिर" देश के हिमाचल प्रदेश राज्य के सोलन जिले में स्थित है। जटोली में इस मंदिर की स्थापना स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने 1973 में की थी। मंदिर की ऊंचाई 122 फुट है। यहां पर भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और हनुमान जी की मूर्तियां स्थापित हैं । मंदिर की खास बात यह है कि इसका निर्माण भक्तों द्वारा किए गए दान से ही किया गया है। शिव मंदिर के साथ प्राकृतिक शिव गुफा के दर्शन के लिए भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
 
 
#ParivartanYogesh तेली का मंदिर, ग्वालियर, मध्यप्रदेश। इस मंदिर के निर्माण के लिए तेल के व्यापारियों ने धन प्रदान किया था। इसी कारण इस मंदिर को तेली का मंदिर कहा जाने लगा। इसका निर्माण आठवीं से नौवीं शताब्दी के मध्य हुआ था। इस मंदिर के निर्माण में नगारा और द्रविड़ वास्तुकला शैली का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर की प्रमुख विशेषता इसकी गजपृष्ठाकार छत है। इस मंदिर की भवन योजना में गर्भगृह व अंतराल प्रमुख है। मंदिर में प्रवेश के लिए पूर्व दिशा की तरफ से सीढ़ियां बनाई गई हैं। इस मंदिर में किसी भी भगवान की मूर्ति नहीं है। ग्वालियर किले पर मौजूद सभी प्राचीन स्मारकों में यह मंदिर सबसे ऊंचा है। इसकी कुल ऊंचाई 100 फीट है। इसका आर्किटेक्चर उत्तर व दक्षिण भारतीय शैली का मिला-जुला रूप है।


मेहरानगढ दुर्ग भारत के राजस्थान प्रांत में जोधपुर शहर में स्थित है। यह आठ द्वारों व अनगिनत बुर्जों से युक्त दस किलोमीटर लंबी ऊँची दीवार से घिरा है। बाहर से अदृश्य, घुमावदार सड़कों से जुड़े इस किले के चार द्वार हैं। किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार किवाड़, जालीदार खिड़कियाँ हैं। इनमें से उल्लेखनीय हैं मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिलेह खाना, दौलत खाना आदि। इन महलों में भारतीय राजवेशों के साज सामान का विस्मयकारी संग्रह निहित है। इसके अतिरिक्त पालकियाँ, हाथियों के हौदे, विभिन्न शैलियों के लघु चित्रों, संगीत वाद्य, पोशाकों व फर्नीचर का आश्चर्यजनक संग्रह भी है।

राजस्थान के पाली जिले में ॐ की आकृति का शिव मन्दिर बन कर तैयार हो गया है, यह पूरी दुनिया में पहला ऐसा विचित्र, सुंदर और आकर्षक हिंदू धार्मिक स्थल है । यह 4 खंडों में बना है। इसमें से एक पूरा खंड जमीन के अंदर है और तीन जमीन के ऊपर। वर्ष 1995 में इसका निर्माण शुरू हुआ था । इसमें अलग-अलग 1008 शिवजी की प्रतिमाएं स्थापित हैं। भवन में 108 कक्ष हैं। इसका शिखर 135 फीट ऊंचा है। बीच में गुरु माधवानंद महाराज की समाधि है। इसके ऊपर वाले भाग में महादेव का शिवलिंग है। सबसे ऊपर ब्रह्मांड की आकृति बनी हुई है। आप भी भ्रमण करीये।

आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिले के मुधोल क्षेत्र में एक गांव, 'बासर' है। इस गांव में गोदावरी के तट पर है विद्या की देवी सरस्वती जी का प्राचीन मंदिर। यहीं ऋषि वाल्मीकि जी ने रामायण लेखन प्रारंभ करने से पूर्व मां सरस्वती जी को प्रतिष्ठित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था। इस मंदिर के निकट ही वाल्मीकि जी की संगमरमर की समाधि भी बनी है। मंदिर में एक स्तंभ भी है जिसमें से संगीत के सातों स्वर सुने जा सकते हैं। बच्चों को विद्या अध्ययन प्रारंभ कराने से पूर्व अक्षराभिषेक हेतु यहां लाया जाता है और प्रसाद में हल्दी का लेप खाने को दिया जाता है।

 वेणुगोपाल स्वामी मंदिर, ताली (कर्नाटक) में स्थित है जो पूरे दक्षिण भारत के भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। वेणुगोपाल स्वामी को भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है, इस मंदिर में उन्ही की प्रतिमा स्थापित की गई है। वेणु का अर्थ तमिल में बासुंरी होता है और इस मंदिर में भगवान कृष्ण की बांसुरी की मधुर धुन सदैव सुनाई देती रहती है। लेकिन आवाज कहा से आती हे,यह विज्ञानियों के लिए रहस्य ही रहा🚩 जय श्री कृष्णा 🙏 🙏 🚩
 
लिंगराज मंदिर उड़ीसा के भुवनेश्वर में है। इसे 10वीं-11वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर भगवान शिव के एक रूप हरिहारा को समर्पित है और शहर का एक प्रमुख लैंडमार्क है। इसकी वास्तुशिल्पीय बनावट भी बेहद उत्कृष्ट है और यह भारत के कुछ बेहतरीन गिने चुने हिंदू मंदिर में से एक है। इस मंदिर की ऊंचाई 55 मीटर है और पूरे मंदिर में बेहद उत्कृष्ट नक्काशी की गई है। लिंगराज मंदिर कुछ कठोर परंपराओं का अनुसरण करता है और गैर-हिंदू को मंदिर के अंदर प्रवेश की अनुमति नहीं है। हालांकि मंदिर के ठीक बगल में एक ऊंचा चबूतरा बनवाया गया है, जिससे दूसरे धर्म के लोग मंदिर को देख सकें। यहां पूरे साल पर्यटक और श्रद्धालू आते हैं।

रणकपुर जैन मंदिर राजस्थान में स्थित जैन धर्म के पांच प्रमुख स्थलों में से एक है। यह स्थान बेहद खूबसूरती से तराशे गए प्राचीन मंदिरों के लिए विख्यात है। यह उदयपुर से 96 किलोमीटर की दूरी पर पाली जिले के सादड़ी में स्थित है। भारत के जैन मंदिरों में यह सबसे भव्य तथा विशाल है। रणकपुर जोधपुर और उदयपुर के बीच में अरावली पर्वत की घाटियों मैं स्थित है इसलिए यह जगह बहुत ही मनोरम बन जाती है। इस पवित्र स्थल को देखा जाना चाहिए।

महाराष्ट्र में कोल्हापुर के निकट, खिद्रापुर का कोपेश्वर मंदिर चालुक्य देवालय वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति है। कोपेश्वर मंदिर को महाराष्ट्र के खजुराहो के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह प्राचीन मंदिरों की मूर्तिकला के सबसे बेहतरीन उदाहरणों में से कुछ है। क्रोधित अर्थात् कुपित शिव को कोपेश्वर कहा गया है। इसी कारण मंदिर में दो लिंग हैं। एक लिंग भगवान् शिव का तथा दूसरा लिंग उनका क्रोध शांत करते विष्णु का रूप है। इसमें स्वर्ग मंडप, सभा मंडप, गर्भ गृह इत्यादि देखने लायक। 1702 में औरंगजेब ने इस मंदिर पर आक्रमण किया था। इसके चिन्ह मंदिर के खंडित भागों पर चारों ओर दृष्टिगोचर हैं।

हजारा राम मंदिर कर्नाटक के हम्पी में है। खंडहरों के रूप में फैले हुए हम्पी को 1986 में यूनेस्को की विश्व धरोहर में भी शामिल किया जा चुका हैं। हजारा का अर्थ है 1000 राम। 15 वीं शताब्दी में निर्मित इस मंदिर की दीवारें रामायण की कहानी को बयान करती हैं। नक्काशी को देखो।

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के बाहरी क्षेत्र में स्थित, उदयगिरी और खंडगिरी की पहाड़ियाँ, भारत के समृद्ध अतीत के ऐतिहासिक अवशेष के रूप में स्थित हैं। पहाड़ियों में कई गुफाएं हैं, जिनमें से अधिकांश जैन भिक्षुओं और राजा खारवेल (महामेघवाहन वंश) के समय के कारीगरों द्वारा बनायी गई हैं। ये गुफाएं न केवल प्राचीन भारत की स्थापत्य कला की साक्षी हैं, बल्कि ये प्रेम, करुणा और धार्मिक सहिष्णुता की संदेश वाहक भी हैं। उदयगिरि और खंडगिरि की गुफाएं भारत के आश्चर्यो में से एक मानी जाती है, जो कि पहली शताब्दी ईसा पूर्व से पहले की बनी हुई हैं।

देखो भारत - ग्याहरवीं सदी में ग्वालियर के राजा महिपाल की पत्नी जोकि विष्णु और उनकी पुत्र वधु जोकि शिव भक्त थीं उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया। इसे सास बहु का मंदिर व सहस्त्र बाहु मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को देखना स्वर्ग के देवी देवताओं का दर्शन माना जाता है। यह मंदिर 23 मीटर लम्बा व 22 मीटर चौड़ा है जिसमे 3 दिशा में दरवाजे हैं। इस विष्णु-शिव मंदिर को देखें भारतवासी।

देखो भारत - लेह में "शांति स्तूप" भारत में सबसे शानदार तिब्बती संरचनाओं में से एक है। इसे शांति शिवालय भी कहा जाता है। यह सफेद रंग का है जो बौद्ध धर्म को समर्पित है। शांति स्तूप समुद्र तल से 11,841 फीट की ऊंचाई पर एक खड़ी पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। शांति स्तूप का निर्माण 1991 में बौद्ध भिक्षु गयोम्यो नाकामुरा ने किया था। दूधिया-सफेद बर्फ का दृश्य, जो हिमालय के विशाल भाग को कवर करता है, यहां दिखता है। शांति स्तूप घूमने के लिए एक सही जगह है।

देखो भारत - चंबल के भव्य शिव मंदिर का निर्माण 13वीं सदी में गुप्त काल में राजा देव पाल ने करवाया था। 170 फीट की त्रिज्या वाले इस मंदिर का नक्शा भारत के संसद भवन में दोहराया गया है, इसमें शिवलिंग वाले 64 कमरे हैं और बीचोंबीच शिवलिंग वाला मंडप है। इसे चौसठ योगिनी मंदिर भी कहा जाता है। इन मंदिरों का अद्भुत स्थापत्य देश-दुनिया के सैलानियों को यहां तक खींच लाता है।

देखो भारत - गुजरात में सोमनाथ मंदिर' भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। सोमनाथ को पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना गया है। शुरू से ही सोमनाथ मंदिर हिंदू धर्म के उत्थान और पतन के इतिहास का प्रतीक रहा है। यह मंदिर देश के सबसे अधिक पूजे जाने वाले तीर्थस्थलों में से एक है।🚩🚩

देखो भारत - वाराणसी का भारत माता मंदिर, भारत माता को समर्पित एकमात्र मंदिर है। यह महात्मा गांधी विद्यापीठ परिसर के पास स्थित है। भारत माता मंदिर में देवताओं या देवी की पारंपरिक मूर्ति नहीं है, लेकिन इसमें भारत माता का एक वास्तविक नक्शा है, जो संगमरमर से बना है और एक मॉडल की तरह दिखता है, जो संपूर्ण भारत का प्रतीक है, जो भारत के पर्वतों, मैदानों और महासागरों का प्रतिनिधित्व करता है। इस मंदिर में आठ विभिन्न विषयों के साथ आठ मंजिलें हें।

देखो भारत - मित्रो क्या आप जानते कि भारत में दुनिया की सबसे बड़ी 'जटायु' की मूर्ति है। यह केरल के कोल्ल्म में है और इसे जटायु अर्थ सेंटर कहा जाता। जटायु की ये मूर्ति 200 फीट लंबी, 70 फीट ऊंची और 150 फीट चौड़ी है। जटायु अर्थ सेंटर में सुरक्षित निजी जंगल के माध्यम से एक घंटा भर ट्रेकिंग किया जा सकता है।

 देखो भारत - विश्व के सबसे विशाल हिन्दू मंदिरों में शामिल श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर, तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु के श्रीरंगम में भगवान रंगनाथ (श्रीहरि) को समर्पित है। मंदिर की नक्काशी भारतीय स्थापत्यकला का सुन्दर नमूना है यहां चोला, पंड्या, होयसला, विजयनगर साम्राज्य के शिलालेख हैं। इस विशाल मंदिर परिसर का क्षेत्रफल लगभग 6,31,000 वर्ग मी (156 एकड़) है और परिधि 4116 मी है।

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